1 What is Language?
Updated on: 28 July 2024.
भावों और विचारों को व्यक्त करने का लिखित, मौखिक या सांकेतिक माध्यम भाषा (Language) कहलाता है। इस अध्याय में आप भाषा से सम्बन्धित कुछ मूलभूत अवधारणाओं (Concepts) के बारे में जानेंगे। इसकी संरचना इस प्रकार है—
Direct Jump To:
- Definition of Language
- Language As A Package
- Components of A Language
- The English language
- Exercise: Practice Time #01
1. Definition of Language
ऊपर आप इस अध्याय की प्रस्तावना में भाषा की परिभाषा देख चुके हैं कि— भावों को व्यक्त करने का लिखित, मौखिक या सांकेतिक माध्यम भाषा कहलाता है।
भाषा को अँग्रेजी में Language कहते हैं।
परिभाषा से स्पष्ट है कि भाषा एक माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य (या अन्य जीव भी) अपने भावों, विचारों या सूचनाओं आदि का आदान-प्रदान करते हैं। साथ ही, परिभाषा से यह भी स्पष्ट है कि यह माध्यम सामान्यतः तीन प्रकार का हो सकता है: लिखित, मौखिक अथवा सांकेतिक। इसी आधार पर हम भाषा को तीन प्रकारों में विभाजित कर सकते हैं।
- लिखित भाषा (Written Language)
- मौखिक भाषा (Oral Language)
- सांकेतिक भाषा (Sign Language)
विश्व के विभिन्न देशों और क्षेत्रों में अनेक प्रकार की भाषाएँ प्रचलित हैं। जैसे— संस्कृत, हिन्दी, पञ्जाबी, तेलुगु, बङ्गला इत्यादि हमारी भारतीय भाषाएँ हैं। हमारे संविधान की आठवीं अनुसूची में कुल 22 भारतीय भाषाओं का उल्लेख किया गया है। इंग्लिश, फ्रैंच, जर्मन, फारसी इत्यादि कुछ विदेशी भाषाओं के उदाहरण है।
आइए, अब हम एक-एक करके भाषा के तीनों प्रकारों की संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करें।
1.1. Written Language
सरल शब्दों में कहा जाए तो लिखी हुई भाषा को हम Written Language (लिखित भाषा) कहते हैं। इसके अन्तर्गत वह भाषा आती है जो पुस्तकों, समाचार-पत्रों, इंटरनेट वैबसाइट्स, PDF आदि पर छपी होती है। इस प्रकार की भाषा को लिखने के लिए हमें कुछ मुद्रण-चिह्नों की आवश्यकता होती है। इन चिह्नों के समुच्चय (set) को Script कहा जाता है। हिन्दी में हम इसे लिपि कहते हैं। कुछ प्रमुख Scripts के उदाहरण निम्नलिखित हैं—
Devanagari Script:
देवनागरी लिपि में अनेक भाषाएँ लिखी जाती हैं। इनमें शामिल हैं: संस्कृत, हिन्दी, मराठी, नेपाली, संथाली आदि। इसके कुछ चिह्न निम्नलिखित हैं—
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ...
Tamil Script:
दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में बोली जाने वाली तमिल भाषा तमिल लिपि में लिखी जाती है। इस लिपि के कुछ प्रारम्भिक चिह्न इस प्रकार हैं—
அ, ஆ, இ, ஈ, உ, ஊ, எ, ஏ, ஐ...
यदि ये चिह्न आपको समझ में नहीं आ रहे हैं तो कोई बात नहीं। इन्हें केवल लिपि के उदाहरण के लिए लिया गया है।
Roman (Latin) Script:
रोमन लिपि मुख्य रूप से English भाषा को लिखने के लिए प्रयोग की जाती है। इसके अतिरिक्त Spanish, French, German इत्यादि भाषाएँ भी इस लिपि में लिखी जाती हैं। इस लिपि के कुछ प्रारम्भिक चिह्न निम्नलिखित हैं—
A, B, C, D, E...या/Or
a, b, c, d, e...
इसी प्रकार, पञ्जाबी भाषा को लिखने के लिए गुरुमुखी लिपि तथा उर्दू को लिखने के लिए फारसी लिपि का प्रयोग किया जाता है।
आशा है कि यहाँ तक आप भाषा (Language) और लिपि (Script) के बीच के अन्तर को भली-भाँति समझ चुके होंगे। आइए, अब कुछ उदाहरणों के माध्यम से इस अन्तर को और अधिक स्पष्ट करते है।
Examples:
- श्रीधाम इंग्लिश के मास्टर्स कोर्स में आपका स्वागत है।
(भाषा=हिन्दी; लिपि=देवनागरी) - Shridhaam English ke Master Course mein aapka swaagat hai.
(भाषा=हिन्दी; लिपि=रोमन) - Welcome to the Masters Course of Shridham English.
(भाषा=English; लिपि=रोमन) - वैल्कम टु द मास्टर कोर्स ऑफ़ श्रीधाम इंग्लिश।
(भाषा=English; लिपि=देवनागरी)
1.2. Oral Language
मुख से बोली गयी भाषा को हम Oral Language (मौखिक भाषा) कहते हैं। इसमें एक विशेष ध्वनि होती है जिसे हम उच्चारण या Pronunciation कहते हैं। इसे सुनकर और समझकर हम सामने वाले व्यक्ति के भावों और विचारों को समझ पाते हैं। इस प्रकार, ध्वनि-युक्त भाषा, मौखिक भाषा कहलाती है।
1.3. Sign Language
Sign Language (सांकेतिक भाषा) ऐसी भाषा होती है जिसमें शब्दों अथवा ध्वनियों का प्रयोग करने बजाए चेहरे के हाव-भाव और शारीरिक संकेतों के द्वारा भावों और विचारों का आदान-प्रदान किया जाता है। उदाहरण के लिए, वे व्यक्ति जो बोलने अथवा सुनने में सक्षम नहीं हैं, अपनी बात कहने या सामने वाले की बात समझने के लिए सांकेतिक भाषा का प्रयोग करते हैं।
2. Language As A Package
Package का अर्थ होता है: गठरी अथवा पोटली जिसमें बहुत सारी चीजें एकसाथ रखी गयी होती हैं। भाषा भी एक प्रकार की गठरी ही होती है जिसमें केवल भाषा ही नहीं होती बल्कि उसमें उस क्षेत्र की सामाजिक जीवनशैली और संस्कृति की झलक भी मौजूद होती है जिस क्षेत्र में वह भाषा बोली जाती है।
किसी क्षेत्र विशेष के लोगों की जीवनशैली, खानपान, वेशभूषा, संस्कृति आदि बहुत से कारकों पर निर्भर करती है। इन कारकों में भौगोलिक और ऐतिहासिक कारक महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, ठण्डे प्रदेशों (जैसे यूरोप) में रहने वाले लोगों की जीवनशैली, खानपान तथा वेशभूषा, गर्म प्रदेशों में रहने वाले लोगों से भिन्न होगी।
गर्म प्रदेशों में रहने वाले लोग हल्के व ढीले वस्त्र पहनना पसन्द करेंगे, जैसे कुर्ता। वे ठण्डी चीजों को अधिक महत्व देंगे। उसी जलवायु के अनुसार वे अपने मकानों का भी निर्माण करेंगे।
वहीं दूसरी ओर, ठण्डे प्रदेशों में रहने वाले लोग मोटे व कसे हुए वस्त्र पहनना पसन्द करेंगे, जैसे ब्लेज़र। वे गर्म चीजों को अधिक महत्व देंगे।
अब इन सब चीजों का प्रभाव उस क्षेत्र की भाषा पर न पड़े, ऐसा हो ही नहीं सकता। आखिरकार, लोग उन्हीं चीजों की बात न करेंगे जिन्हें वे अपनी दिनचर्या में देखते या सुनते हैं? तो बस, इसी प्रकार उस क्षेत्र की जीवनशैली और संस्कृति वहाँ की भाषा में शामिल होती चली जाती है। उसी के अनुसार उस भाषा के शब्द, वाक्यों की अभिव्यक्तयाँ, मुहावरे तथा कहावतों आदि का सृजन होता जाता है।
उदाहरण के लिए, भारत में एक मुहावरा है: कलेजे को ठण्डक मिलना। क्या आप बता सकते हैं कि यहाँ कलेजे को गर्मी मिलना क्यों नहीं बोला जाता? दूसरी ओर, यदि हम अँग्रेज़ों की बात करें तो किसी व्यक्ति का स्वागत करते समय वे Warm welcome! बोलते हैं। क्या आप बता सकते हैं कि यह Welcome, cool क्यों नहीं होता?
इस प्रकार, हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि जब हम कोई भाषा सीख रहे होते हैं तब हम केवल उस भाषा को ही नहीं सीख रहे होते हैं, वरन् उस क्षेत्र की संस्कृति और तौर-तरीकों को भी अप्रत्यक्ष रूप से अपना रहे होते हैं। इसलिए किसी भी भाषा को सीखते समय, इन चीजों के प्रति हमें थोड़ा सावधान रहना चाहिए। जैसे, इंगलैंड में Cool Welcome! बोलना जितना गलत है, उतना ही गलत, भारत में Warm welcome! बोलना भी है।
3. Components of A Language
Component का अर्थ होता है, किसी बड़े तन्त्र का एक भाग जो अन्य भागों के साथ मिलकर, उस तन्त्र को ठीक से चलाने में सहायता करता है। हिन्दी में हम इसे घटक या अवयव कहते हैं। भाषा के भी कुछ अवयव होते हैं। प्रमुख आधारभूत अवयव निम्नलिखित हैं—
- Letters
- Words
- Phrases
- Sentences
3.1. Letters
Letter अथवा वर्ण एक Single Sound होता है। यह किसी भी भाषा की सबसे छोटी कड़ी होती है। इसे विभाजित नहीं किया जा सकता। साथ ही, इसका अपना कोई स्वतन्त्र अर्थ भी नहीं होता।
प्रत्येक Single Sound के लिए, उस भाषा की सम्बन्धित लिपि में एक चिह्न होता है। आमतौर पर इसी चिह्न को हम Letter (अक्षर) के रूप में जानते हैं।
Examples:
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ...
அ, ஆ, இ, ஈ, உ, ஊ, எ, ஏ, ஐ...
A, B, C, D, E...
3.2. Words
एक या एक से अधिक Letters का ऐसा संयोजन (combination) जिसका कोई अर्थ निकलता हो, Word कहलाता है। Word को हिन्दी में शब्द कहा जाता है। जैसे—
Apple, Ball, Cat, Dog, Elephant…
3.2. Phrases
Phrase का अर्थ होता है: वाक्यांश अर्थात् वाक्य का अंश। इस प्रकार, phrase, शब्द और वाक्य के बीच की कड़ी होती है। यह सामान्यतः दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बना होता है। यह पूर्ण वाक्य नहीं होता बल्कि वाक्य का एक भाग होता है जिसका अपना एक अर्थ या अभिव्यक्ति होती है। जैसे—
He and his friend will come to meet me after their class is over.
वास्तव में, वाक्य का प्रत्येक शब्द किसी न किसी phrase से सम्बद्ध होता है। उपरोक्त वाक्य में केवल दो phrases को ही bold किया गया है।
3.4. Sentences
शब्दों का ऐसा क्रमबद्ध-व्यवस्थित समूह जिसमें कोई अभिव्यक्ति (expression) निहित हो, Sentence (वाक्य) कहलाता है।
उपरोक्त परिभाषा से निम्नलिखित दो बातें निकलकर सामने आती हैं—
- शब्दों का क्रमबद्ध-व्यवस्थित समूह
- अभिव्यक्ति
यहाँ अभिव्यक्ति अथवा Expression का अर्थ है वह सूचना या विचार, जो वाक्य बोलते समय, बोलने वाले व्यक्ति के मस्तिष्क में होता है अथवा सुनने या पढ़ने के बाद श्रोता या पाठक को समझ में आता है।
Examples of Sentences:
- She is a doctor. वह एक चिकित्सक है।
- Will they come here? क्या वे यहाँ आएँगे?
- I don't believe on what he says. वह जो कहता है, उस पर मुझे विश्वास नहीं है।
तो इस प्रकार हमने देखा कि किसी भी भाषा के मुख्य रूप से 4 अवयव होते हैं। Letters भाषा की सबसे छोटी इकाई होते हैं। Letters को मिलाकर Words बनाये जाते हैं तथा Words आपस में मिलकर Phrases का निर्माण करते हैं। अन्ततः, विभिन्न छोटे-बड़े Phrases से एक Sentence की रचना होती है।
किसी भी भाषा को सीखने के लिए हमें इन्हीं अवयवों के विभिन्न प्रयोगों को सीखना होता है। भाषा को सुनकर हम उसके छोटे-मोटे वाक्य बनाना सीख सकते हैं। लेकिन उसकी अच्छी समझ के लिए हमें उसकी व्याकरण अर्थात् Grammar का अध्ययन करना होता है। Grammar, भाषा के अध्ययन को सरल बनाती है।
4. The English Language
English विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा नहीं है। फिर भी यह विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। साथ ही, हमारे पूरे भारत को एक सूत्र में जोड़ने का कार्य भी यह भाषा करती है।
भारत में ऐसे अनेक राज्य हैं जहाँ पर लोग हिन्दी को ठीक से नहीं समझते हैं। वहाँ की अपनी एक क्षेत्रीय भाषा है, विशेष रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों की। ऐसे में English ही ऐसी भाषा है जिसे पूरे भारत के लोग थोड़ी या अधिक मात्रा में समझते ही हैं। अतः, पूरे भारत के लिए हम इसे एक Common Language कह सकते हैं।
क्या English बड़े लोगों की भाषा है?
व्यक्ति का बड़ा या छोटा होना उसके व्यक्तित्व (Personality), आचरण (Conduct) और चरित्र (Character) पर निर्भर करता है। हो सकता है किसी चोर को भी English आती हो। दूसरी ओर, कोई ईमानदार और सच्चा व्यक्ति ऐसा भी हो सकता है जिसको English न आती हो। तो, व्यक्ति का बड़ा या छोटा होना उसकी भाषा पर निर्भर नहीं करता है। फिर भी, इस मिथक (myth) के पीछे की एक कहानी है जो आपको अवश्य ही जाननी चाहिए।
सन् 1608 ई. में अँग्रेज लोग व्यापार की मंशा से भारत आये। सन् 1757 ई. के प्लासी और सन् 1764 ई. के बक्सर के युद्ध के पश्चात उन्हें भारत के बंगाल, बिहार और उड़ीसा में कर (Tax) वसूलने का अधिकार प्राप्त हो गया। इस प्रकार, यहाँ से भारत पर शासन करने की उनकी शुरुआत हुई।
समय के साथ उनके शासन का क्षेत्र बढ़ता गया और धीरे-धीरे, लगभग पूरे भारत पर, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनका शासन हो गया। भारत को लूटकर वे अमीर भी होते गये। शासन के उच्च पदों पर हमेशा अँग्रेज ही रहते थे। इस प्रकार, वे राजा (तथाकथित बड़े लोग) थे और भारतीय लोग उनकी प्रजा (तथाकथित छोटे लोग)। यही उस समय का कड़वा सच था।
जो भारतीय अँग्रेजी तौर-तरीकों को अपनाते थे, अंग्रेज़ों की चापलूसी करते थे और उनकी भाषा बोलते थे, अँग्रेज उनके साथ अच्छा व्यवहार करते थे। वे उन्हें उच्च पदों पर भी नियुक्त करते थे। यह क्रम लगभग 190 वर्षों तक चला। इस लम्बे कालखण्ड में भारतीयों में यह धारणा बनने लगी कि यदि अँग्रेजों की नज़र में अच्छा बनना है, तो अँग्रेजी तौर-तरीकों को, विशेष रूप से उनकी भाषा को सीखना ही होगा। बस फिर क्या था, भारतीयों में भी होड़ शुरू हो गयी अँग्रेज बनने की। उनके कपड़े, उनकी भाषा और उनके रहन-सहन का अन्धानुकरण आरम्भ हो गया भारत में… जो आज भी जारी है।
अब हम कह सकते हैं कि भाषा, भाषा होती है। वह किसी धनी अथवा निर्धन की नहीं होती है। फिर भी, भारत में English के प्रति यह झूठी धारणा क्यों बनी, इस बात का रहस्य भारत के इतिहास में छुपा है।
English सीखना आवश्यक क्यों है?
English सीखना अनिवार्य (compulsory) भले ही न हो लेकिन आज वैश्वीकरण के युग में जहाँ पूरा विश्व इण्टरनेट के माध्यम से एक हो गया है, English सीखना अत्यन्त आवश्यक है। इसकी आवश्यकता को हम निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से देख सकते हैं—
- चूँकि English विश्व के अनेक देशों में बोली जाती है इसलिए विश्व के साथ संवाद स्थापित करने के लिए हमें English सीखना आवश्यक है।
- English इंटरनेट की भाषा है। आज जिन प्लेटफॉर्म्स पर क्षेत्रीय भाषा की सुविधा नहीं है, वे English को ही मूल भाषा के रूप में प्रयोग करते है।
- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के शोध-पत्र तथा ज्ञान मूलतः English में ही उपलब्ध हैं। अतः उस ज्ञान तक पहुँच बनाने के लिए English सीखना आवश्यक है।
- प्रतियोगिता तथा बाजार विस्तार के इस दौर में, एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। बड़ी-बड़ी Multinational Companies में रोजगार प्राप्त करने में भी English का ज्ञान होना आवश्यक है।
- और अन्ततः, भारत के जिन क्षेत्रों में लोग हिन्दी भाषा नहीं समझते, वहाँ English एक Common Language के रूप में काम करती है। इसलिए, यदि आप कभी भारत के दूरस्थ क्षेत्रों की यात्रा करेंगे तो English की जानकारी आपके लिए सहायक सिद्ध होगी।
अध्याय के निष्कर्ष के रूप में, हमने सीखा कि भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य अपने भावों और विचारों को आपस में साझा करते हैं। कोई भी भाषा एक पूरा-का-पूरा Package होती है जिसमें उस क्षेत्र की संस्कृति, रहन-सहन और तौर-तरीके इत्यादि भी शामिल होते हैं। भाषा के मुख्यतः 4 Components होते हैं: Letters, Words, Phrases तथा Sentences. वर्तमान समय में, विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए English सीखना आवश्यक है।
अगले अध्याय से हम English भाषा को सीखना प्रारम्भ करेंगे। हम अपनी शुरुआत Alphabet से करेंगे जिसमें हम उनकी समस्त जानकारी तथा उनके प्रयोगों को उदाहरणों के साथ सीखेंगे।
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